પ્રતિક મોર
July 18, 2021
भुला नहीं करते.
१ दोस्त मेरे अक्षर मुझसे मिला नहीं करते,
पर जब मिलते हे तो चाय पिला ना भुला नहीं करते.
२ हरकिशी के सामने हाथ मत फैलाया करो.,
कुछ ऐसे हे जो मरतेदम ाहेशन भुला नहीं करते.
३ पुरे दिन करते रहते है अपने घरको हम याद
और घर पहुंचे तो दफ्तर को भुला नहीं करते.
४ दोस्ती करो तो करो अपनी औकात में,
पैदाइशी आमिर तुम्हारी गरीबी भुला नहीं करते.
५ बर्षो बाद वो मिली तो पूछ लिया मेरा नाम,
अभ कोण उसे समजाये के इश्क़में नाम भुला नहीं करते.
६ हाकिम को याद नहीं अभ दर्द मेरा न दवा देता हे,
पर जब भी मिलाने जाता तो फीस लेना भुला नहीं करते.
७ हजारो सलाम उस सराबी को जो सच्ची चाहत रखता हे
जो खली बोतल का ढकन बांध करना भुला नहीं करते.
१ दोस्त मेरे अक्षर मुझसे मिला नहीं करते,
पर जब मिलते हे तो चाय पिला ना भुला नहीं करते.
८ दोस्त मेरे अक्षर मुझसे कॉल करते,
पर जब करते हे तो उशकी याद दिलाना भुला नहीं करते.
February 24, 2021
कल रात मैंने नींद से दो सपने चुराये l
कहा चलो आओ तुम्हे हम शेर कराये ll
पहले ना कहा सपनो ने, सोचा और आखिर,
दोनों ने मिलकर हां हां के गीत गुनगुनाये ll
जाना था दूर, क्षितिज के उस पार,
ढूंढना था आकाश गंगा का किनार,
कहा है उसकी शुरआत? कहा है अंत?
आकाश गंगा की गंगोत्री सूरज था यार,
बनाके सेफ्टी बेल्ट आकाशगंगा को, निकलता हे सूरज निराला l
जब बारिश में ऱास्ते बिगड़े, तो इंद्रधनुष का मिलता सहारा ll
कुदरत भी जब संभल कर चले हर डगर, हर नगर, हर शहर l
तो तू क्यों उड़ता बिना पंख के, क्यों करता सलामती से किनारा ll
January 18, 2021
સહેલું લાગે છે.
આમ જ પાંપણ માં રહેવાનું સહેલું લાગે છે
આશું ને આંખથી વહેવાનું સહેલું લાગે છે.
છત્રી વગર સહન કર્યા ઘણાં દુઃખોના વરસાદ
હવે મોતના સાગરમાં ડૂબવું સહેલું લાગે છે.
September 23, 2020
hindi geet
ऐ मेरे बचपन बिना काम के तू मिल
हो सके तो सचमे काम के मिल
क्या पता कितना बदल गया
बदल गया हु तेरे जाने के बाद
तू होशोहवास में आ,और मेरे जाम से तू मिल।
ऐ मेरे बचपन बिना काम के मिल हो सके तो सचमे काम के मिल
मार के पतथर तू नदीको हिला देता था
करनी ऐसी ही गलतिया,कुछ नादानियाँ फिर से
हो सके तो थोड़ा आराम से तू मिल।
ऐ मेरे बचपन बिना काम के मिल हो सके तो सचमे काम के मिल
तेरे वक्त में मेला, मेरे वक्त में हर कोई अकेला
तू पुरे गांव से था रूबरू,में पदोषियो से भी अनजान,
ऐसा कर दे समय,और ईश शनिवार साम को तू मिल।
ऐ मेरे बचपन बिना काम के मिल हो सके तो सचमे काम के मिल
January 08, 2020
SHER
તે આપેલા જખ્મોની યાદી ગણી લાંબી હતી "પ્રતિક"
નહિતર ખુદા ને ભૂલનારો હું તને શું કામ યાદ રાખત.
નહિતર ખુદા ને ભૂલનારો હું તને શું કામ યાદ રાખત.
જરૂર ખુદાએ બદલ્યો હશે રસ્તો મારો "પ્રતિક"
નહીતર મંજિલ આટલી નજીક ધારી ન હતી.
નહીતર મંજિલ આટલી નજીક ધારી ન હતી.
મેં કરેલા ખોફનાક કામથી દર લાગે છે "પ્રતિક"
નહિતર જીદગી આટલી ડરવાની નથી હોતી.
નહિતર જીદગી આટલી ડરવાની નથી હોતી.
લખાઈ છે ગઝલ દિલ થી તેથી લખી નાખું છું.
નહિતાર ખારવાનાં હાથ માં ક્યા કલમ શોભે છે?
સમજતો હતો તેના કરતા તું ગણો નાનો નીકળ્યો,"
પ્રતિક " બની ઉધઈ મારા દિલ ને કોરી ગયો.
નથી ચંદનનું લાકડું ભલે, ઉજાશ તો દઈ શકું,
આમ મફતમાં સળવા કરતા બળી જવું સારું''પ્રતિક'' .
આમ મફતમાં સળવા કરતા બળી જવું સારું''પ્રતિક'' .
October 06, 2013
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