September 23, 2020

hindi geet

 ऐ मेरे बचपन बिना काम के तू मिल

हो सके तो सचमे काम के मिल 


क्या पता  कितना बदल गया 

बदल गया हु तेरे जाने के बाद 

तू होशोहवास में आ,और मेरे जाम से तू मिल। 

ऐ मेरे बचपन बिना काम के मिल हो सके तो सचमे काम के मिल 


मार के पतथर तू नदीको हिला देता था

करनी ऐसी ही गलतिया,कुछ नादानियाँ फिर से

हो सके तो थोड़ा आराम से तू मिल। 

ऐ मेरे बचपन बिना काम के मिल हो सके तो सचमे काम के मिल 


तेरे वक्त में मेला, मेरे वक्त में हर कोई अकेला 

तू पुरे गांव से था रूबरू,में पदोषियो से भी अनजान,

ऐसा कर दे समय,और ईश शनिवार साम को तू मिल। 

ऐ मेरे बचपन बिना काम के मिल हो सके तो सचमे काम के मिल 


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